श्री रामदत्तगुरु चरित्र.....Http://ramdattaguru.org
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अनुभव 1 

चि.  सुधीरचा  आजार 

माझी  बदली  मंगळूरनाथ  येथे  झाली  होती.  काही  दिवसांनी  माझा  मोठा  मुलगा  चि.  सुधीर  आजारी  पडला.  आजार  वाढत  गेला.  मंगळूरच्या  डॉक्टरांनी  हात  टेकले.  सुधीरला  अकोल्याला  नेले.  सरकारी  जिल्हा  रुगणालयात  भर्ती  केले.  तेथील  सिव्हिल  सर्जन  सह  इतर  डॉक्टर  प्रयत्नांची  पराकाष्टा  कारीत  होते.  महाग  मोलाची  औषधे  चालू  होती.  त्यावेळी  रामभाऊ  त्यांच्या  शाळेच्या  प्रदर्शनासाठी  मुख्य  व्यवस्थापक  म्हणून  वाशीमला  गेलेले  होते.  वरिष्ठा  कडून  दिल्या  गेलेल्या  सूचना  नुसार  त्यांना  प्रदर्शन  सोडून  थोडा  वेळ  सुध्दा  वाशीमच्या  बाहेर  जाता  येत  नव्हते.  एक  दिवस  सुधीरची  प्रकृती  खूपच  बिघडली.  डॉक्टर  सुध्दा  घाबरले.  त्यांनी  आशा  सोडली.  तिकडे  वाशीमला  त्याच  रात्री  रामभाऊ  झोपेतून  मोठा  आवाज  करुन  उठले.  जवळ  झोपलेले  त्यांचे  लोक  घाबरुन  उठले.  काय  झाले  म्हणून  विचारु  लागले.  रामभाऊ  म्हणाले  माझा  पुतण्या  चि.  सुधीर  अकोल्याला  अत्यवस्थ  आहे.  मला  गेलेच  पाहीजे.  वरिष्ठांचा  हुकूम  मोडून  कशाचीही  पर्वा  न  करता  सकाळच्या  पहिल्या  बसने  रामभाऊ  अकोल्यास  आले.  सरळ  दवाखान्यात  आले.  थोडा  वेळ  ध्यानस्त  बसून  त्यांनी  सुधीरच्या  डोक्यावर  हात  ठेवला.  सुधीरने  डोळे  उघडले.  रामभाऊ  म्हणालेण्ए  वहिनी  आता  घाबरण्याचे  आणि  काळजी  करण्याचे  कारण  नाही,  तेव्हा  पासून  सुधीरची  प्रकृती  छान  सुधारु  लागली.  डॉक्टर  आश्चर्य  करु  लागले.  हा  चमत्कार  कसा  घडला  ते  त्यांना  कळलेच  नाही
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