श्री रामदत्तगुरु चरित्र.....Http://ramdattaguru.org
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अनुभव 8

श्री.  व  सौ.  विश्वनाथ  (नानासाहेब)  गोविंद  निमकंडे,  अकोला

1.

1967-68  मधील  प्रसंग  माझी  मुलगी  विणा  सव्वा  वर्षांची  असतांना  पासून  रात्री  बेरात्र  दचकु  नए  रडत  झोपेतून  उठत  होती.  4-5  वर्षाची  होईपर्यंत  तसेच  चालु.  अमावस्या  पौर्णिमेला  त्रास  व्हायचा  माझे  सोबत  काम  करणारे  प.  पू.  महाराजांचे  काका  गजानन  कुळकर्णी  व  अप्पासाहेब  शहाणे  यांचे  जवळ  सहज  विषय  काढला  असता  त्यांनी  महाराजांना  दाखविण्याचा  सल्ला  दिला.  त्यावेळी  नातूंच्या  वाडयात  महाराज  राहत  होते.  एका  गुरुवारी  त्यांचेकडे  मुलीस  घेवून  गेलो.  त्यांनी  तिला  मुंजाची  बाधा  सांगितली.  अंगारा  दिला  व  लहान  असल्यामुळे  दुस.याने  हाताशी  रोज  पिंपळाचे  झाडास  21  प्रदक्षिणा  21  दिवस  पर्यंत  घालण्यास  सांगितले  त्याप्रमपाणे  केल्यानंतर  तिचा  त्रास  पूर्णपणे  बरा  झाला. 

सुरुवातीस  देवधर्माबाबत  मला  एवढा  आदर  नव्हता  कामापुरताच  देवदेव  करित  असे.  मुलीच्या  अनुभवावरुन  प.  पू.  महाराजांबाबत  आदर  वाढत  गेला.  मधून  मधून  गुरुवारी  आरती  प्रसादास  जात  असे.  अंदाजे  1970.71  चे  दरम्यान  व  तत्पूर्वीही  मनात  विचार  यायचे  की  मुस्लीम  रोज  व  शुक्रवारा,  ख्रिश्चन  रविवारी  सर्व  कामे  सोडून  प्रार्थनेस  जातात.  आपणच  हिन्दुनी  नियमीतपणा  का  आणू  नये  म्हणून  आम्ही  पती  पत्नी  काहीही  अडचणी  आल्यातरी  महाराजांकडे  दर  गूरुवारी  सायं  आरती  (दरबार)  ला  नियमितपणे  जाण्याचे  ठरविले.

 2.

माझ्या  लहान  साळीचे  लग्न  होवून  (अंदाजे  1971ध्72)  1महिना  झाल्यावर  तिच्या  नणंदेची  (राउतवाडी  राहणारी)  तब्येत  एकदम  अत्यावस्थ  झाल्याची  व  जिल्हा  रुग्णालयात  भरती  केल्याचा  निरोप  आला  म्हणून  भेटण्यास  गेलो  असता  सलाईन  वगैरे  लावून  तब्येत  बरी  झाली  व  सुटी  मिळून  घरी  आणले.  पुन्हा  रात्री  8.9  वाजतां  पुन्हा  तब्येत  खराब  झाली.  तिचे  यजमान  दवाखान्यात  घेवून  गेले  तर  डॉ.  नी  म/त  घोषीत  केले  व  परत  पाठविले.  दुखद  वातावरणांत  घरी  आणतानाए  बाई  जिवंत  शुध्दीवर  येवून  अस्खलीत  हिन्दी  बोलु  लागली  तिचे  यजमान  जादु  टोणा  जाणत  होते)  ते  घाबरुन  माझे  कडे  आले  हकिकत  ऐकल्यावर  विचार  केला  असता  लक्षात  आले  की  त्या  दिवशी  अमावस्या  आहे.  विचार  आला  की  महाराजांना  सांगावे.  तशी  त्यांचीही  तयारी  झाली  दोघे  रात्री  9.30  वाजता  प.  पू.  महाराजांकडे  जावून  इत्यंभूत  हकिकत  सांगितली.  त्यांनी  बाहेरील  बाधा  सांगुन  अंगारा  साखर  पाण्यातून  1.1  तासाने  देण्यास  सांगितले,  अंगारा  घेवून  त्यांचे  घरी  गेलो  तेंव्हा  दरवाज्यात  असतानांच  बाईने  तुम्ही  त्या  दत्त्याला  घेवून  आत  आणू  नका  मला  त्याची  भिमी  वाटते.  तुम्हीही  आत  येवू  नका.  आम्ही  बळजोरीने  आत  गेलो.  त्यांना  अंगारा  देण्यास  सांगितले.  तेव्हा  त्यांनी  मला  रात्रभर  तिथेच  थांबण्यास  सांगितले.  मी  स्वत:  अंगारा  साखर  पाण्यात  तयार  करुन  तिचे  चेह.यावर  शिडके  दिले  व  पित  नव्हती  जबरदस्तीने  4  माणसांनी  पकडून  जिभेवर  अंगारा  टाकला.  ती  चवताळून  माझे  अंगवर  आली  म्हणालीए  हा  आला  ना  दत्त्याला  घेवूनए  मी  या  झाडाला  12  वर्षापासून  धरुन  आहे  आणि  आज  तिला  रात्री  12  पर्यंत  घेवून  जाणार  आहे.  मधून  मधून  अंगारा  देणे  चालुच  ठेवलेए  बाई  4-4  माणसांना  आवरत  नव्हती.  एक  दोघांनी  हात,  एक  दोघांनी  पाय  धरुन  ठेवले  तरी  आवरत  नव्हती.  शेवटी  तिच्या  गुडघ्यावर  मी  स्वत:  बसलो  व  अंगारा  देत  राहीलो.  बडबडीत  हा  माझा  नवरा  जादू  टोणा  जाणतो  पण  त्यालाही  मी  बारा  वर्षांपासून  बुध्दु  बनविले  आहे.  12  वर्षांपासून  मी  झाडाला  धरुन  आता  नेण्याचे  ठरविले  आहे.  कोण  कुठली  विचारले  असता  हिन्दी  सायडर  नाव,  गांव,  ठिकाण  सांगितले.  (आता  आठवत  नाही)  मला  कॉफी  प्यायला  आवडते.  इत्यादी.  या  बाईस  कधी  मोकळे  करणार  असे  विचारले  तर  मी  सोडण्यासाठी  धरले  नाही,  माझी  बारा  वर्षांची  मेहनत  अशी  मी  वाया  जावू  देणार  नाही.  मी  आज  हीला  घेवूनच  जाईन,  पुन्हा  अंगारा  तिला  शिंपडला.  तेव्हा  दत्त्या  मला  मारु  नको,  छेडू  नको  माझ्या  अंगाची  लाही  लाही  होते.तूं  आला  म्हणून  मी  हीला  रात्री  12  वाजता  सोडील.  तेवढयात  बिर्लाचा  11.55  चा  भोंगा  झाला.  मी  तिला  म्हंटले  की,  आता  रात्रिचे  12  वाजले  आहेत,  तूं  हीला  सोडून  जा.  तर  ती  खदखदा  हसली  आणि  म्हणाली  अजून  5  मिनिट  बाकी  आहेत.  12  वाजल्याबरोबर  ही  बाई  एकदम  शुध्दीवर  आली  व  मी  कुठे  आहेए  आतापर्यंत  कुठे  होती.  मी  खूप  थकून  गेली  आहे.  मला  भूक  लागली  मला  चहा  तरी  द्या.  (नेहमी  कॉफी  विचारणारी)  चहा  दिल्यावर  तिला  हुशारी  आलीए  कॉफी  घे  म्हंटल्यावर  मी  कॉफी  कधीच  घेत  नसते  मला  आवडत  नाहा.आज  30  वर्षे  झाली  बाई  व्यवस्थित  आहे. 

 

 

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